लोग अश्वगंधा क्यों लेते हैं? इस प्राचीन औषधीय जड़ी बूटी के सेवन से कई फायदे होते हैं। आईए हम व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली इस जड़ी-बूटी के विभिन्न उपयोगों पर गौर करते हैं।
अश्वगंधा एक संस्कृत नाम है जिसका अर्थ है "घोड़े की गंध"। यह अपनी विशिष्ट गंध और ताकत बढ़ाने की अनूठी क्षमता को दर्शाता है। यह आयुर्वेद में अत्यधिक उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटी है और आपके शरीर के लिए इसके विभिन्न लाभ हैं।
इसे भारतीय जिनसेंग और विंटर चेरी भी कहा जाता है, शायद इसलिए कि इसे पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में एडाप्टोजेन या टॉनिक(adaptogen or tonic) के रूप में स्वीकार किया जाता है। यह आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी परंपराओं का हिस्सा है और भारतीय मटेरिया मेडिका(Materia Medica) में भी सूचीबद्ध है।
इससे शरीर और दिमाग दोनों को फायदा होता है। अश्वगंधा से मस्तिष्क के कार्य में सुधार और एकाग्रता बढ़ाने में उल्लेखनीय परिणाम पाए गये हैं।
इसमें बहुत अधिक मात्रा में विथेनोलाइड्स होते हैं जो ट्यूमर के विकास और सूजन से लड़ते हैं। यह ब्लड शुगर को कम करने, तनाव के स्तर को कम करने और चिंता को दूर करने के लिए जाना जाता है।
1. हम अश्वगंधा का उपयोग क्यों करते हैं?
2. अश्वगंधा कितनी मात्रा में लेना चाहिए?
3. अश्वगंधा के स्वास्थ्य लाभ
4. अश्वगंधा के नुकसान
5. निष्कर्ष
6. सामान्य प्रश्न
मूल रूप से भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में पाए जाने वाले अश्वगंधा के पौधे में छोटी झाड़ियाँ और पीले फूल होते हैं। इसकी जड़ों और पत्तियों का उपयोग चिंता और फर्टिलिटी(anxiety and fertility) संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। यह पौधा कई स्थितियों को सुधारने में फायदेमंद होता है।
इसकी पैदावार खेतों में भी की जाती है, लेकिन जंगलों में उगने वाले पौधों को तेल निकालने के लिए प्राथमिकता दी जाती है। इसमें स्टेरॉइडल लैक्टोन(steroidal lactones) होते हैं जिन्हें विथेनोलाइड्स (withanolides) कहा जाता है।
अश्वगंधा की अधिकांश औषधीय गतिविधियों को इन स्टेरायडल लैक्टोन(steroidal lactones) की उपस्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।
इसके अलावा, जड़ें कुछ महत्वपूर्ण तत्त्व प्रदान करती हैं:
अत्यधिक तनाव से कोर्टिसोल(cortisol) का स्तर बढ़ जाता है, पेट की चर्बी सामान्य से अधिक तेज़ी से जमा होती है। यह ब्लड शुगर के स्तर को भी बढ़ाता है। कई अध्ययनों ने साबित किया है कि यह सूजन को कम करने और कई बीमारियों को रोकने में मदद करता है।
अध्ययनों से पता चलता है कि अश्वगंधा शरीर में कोर्टिसोल(cortisol) के स्तर को 30% तक कम कर सकता है।
यह पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन(testosterone) के स्तर को बढ़ाता है, मांसपेशियों को मज़बूत करने में मदद करता है। यह जिम जाने वालों और एथलीटों के लिए एक शानदार फिटनेस सप्लीमेंट भी है।
इस पौधे के कई लाभों को ध्यान में रखते हुए, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि यह आयुर्वेद में सबसे मूल्यवान जड़ी बूटियों में से एक है।
अश्वगंधा की कोई मानक खुराक नहीं है, कुछ लोग इस जड़ी बूटी का 1-6 ग्राम प्रतिदिन उपयोग करते हैं, और अन्य कम से कम 3 ग्राम अश्वगंधा को दूध के साथ मिलाते हैं। यह अर्क, सिरप, पाउडर और गोलियों में भी उपलब्ध हैं।
अश्वगंधा से लोराज़ेपम(lorazepam) नामक दवा, की तुलना में शामक और चिंता(sedative and anxiety) में एक अच्छा प्रभाव मिलता है। यह कोर्टिसोल (तनावी हार्मोन) को कम करके तनाव के स्तर को काफी कम कर देता है।
अश्वगंधा दर्द को सेंट्रल नर्वस सिस्टम तक पहुंचने से रोककर दर्द निवारक के रूप में भी काम करता है। इसमें WA(withaferin A) होता है, जो इसे एक प्राकृतिक दर्द निवारक बनाता है।
यह अपने एंटी इन्फ्लैमटॉरी गुणों के कारण सूजन को भी कम कर सकता है।
अधिकांश लोग अश्वगंधा का उपयोग अपने हृदय स्वास्थ्य को सुधारने के लिए करते हैं क्योंकि यह-
शोध के अनुसार, अश्वगंधा की जड़ों का अर्क कार्डियोरेस्पिरेटरी सहनशक्ति को बढ़ा सकता है, जिससे हृदय की कार्यप्रणाली में सुधार हो सकता है।
यह एथलेटिक प्रदर्शन में सुधार के लिए एक अच्छा सप्लीमेंट है।
कुछ अध्ययनों के अनुसार, यह पाया गया है कि अश्वगंधा के सेवन से ऑक्सीजन की खपत (VO2 max) बढ़ जाती है, जब एक व्यक्ति को गहन गतिविधि करते समय अधिकतम ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, अश्वगंधा मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने में मदद करता है।
यह डिप्रेशन सहित कई मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में सुधार करता है।
अध्ययन के लिए, लोगों को Placebo (डिप्रेशन के लिए निर्धारित दवा) के बजाय डिप्रेशन और चिंता के लिए 12 सप्ताह तक अश्वगंधा 1,000 मिलीग्राम लेने के लिए कहा जाता है। कई लोगों को यह प्रक्रिया ज्यादा फायदेमंद लगी।
कुछ अध्ययनों ने पुरुष प्रजनन क्षमता को लाभ पहुंचाने और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने के लिए अश्वगंधा की सप्लीमेंट लेने की सलाह भी दी है। यह पुरुषों के स्पर्म काउंट को बढ़ाने में भी मदद करता है।
अश्वगंधा लेने से संज्ञानात्मक कार्य को लाभ हो सकता है। यह विशिष्ट आबादी में संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली में सुधार करता है, जिसमें हल्के संज्ञानात्मक हानि वाले वृद्ध, वयस्क और सिज़ोफ्रेनिया वाले लोग शामिल हैं।
शोधकर्ताओं द्वारा देखा गया है की WA सहित अश्वगंधा में पाए जाने वाले यौगिकों का मस्तिष्क पर एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव पड़ता है, जिससे संज्ञानात्मक स्वास्थ्य(cognitive health) को लाभ हो सकता है।
अश्वगंधा के सबसे आम साइड इफेक्ट असहज गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण, पेट खराब और दस्त हैं।
जबकि अध्ययनों में पाया गया कि अश्वगंधा आपको रात में बेहतर नींद में मदद कर सकता है, कुछ उपयोगकर्ताओं के लिए उनींदपन एक अवांछित दुष्प्रभाव हो सकता है, दिन-प्रतिदिन के कार्यों में बाधा डाल सकता है और ड्राइविंग को असहज बना सकता है।
इससे अनिद्रा या नींद की कमी हो सकती है। रात के समय इसे खाने से बचें क्योंकि यह दिमाग को सक्रिय बनाता है और नींद न आने जैसी समस्या पैदा कर सकता है।
अश्वगंधा आपके बीपी को कम कर सकता है। लो बीपी होने पर इससे बचने की सलाह दी जाती है।इसके ज्यादा इस्तेमाल से बुखार, थकान और दर्द हो सकता है।
इसके अधिक सेवन से पेट के रोग हो सकते हैं।यदि आप अश्वगंधा का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं, तो अधिक दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।
विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के साथ, अश्वगंधा एक प्राचीन औषधीय जड़ी बूटी है जिसका उपयोग कई चिकित्सीय बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता है।
यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है। यह कुछ लोगों के लिए संज्ञानात्मक कौशल(cognitive skill) में भी सुधार करता है।
1. क्या अश्वगंधा महिलाओं के लिए सुरक्षित है?
हाँ, यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए सुरक्षित है। लेकिन जो महिलाएं गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं उन्हें अश्वगंधा के सेवन से बचना चाहिए।
2. क्या हम अश्वगंधा को पानी में मिला के इसका सेवन कर सकते हैं?
आप अश्वगंधा की जड़ों को पानी, दूध और अन्य तरल पदार्थों के साथ मिला के इसका सेवन कर सकते हैं। अश्वगंधा लेने का पारंपरिक तरीका गर्म दूध, शहद और घी के साथ है।
3. क्या शाकाहारी इसका सेवन कर सकते हैं ?
हाँ, इसमें केवल पौधे से उत्त्पादित सामग्री होती है।
4. क्या अश्वगंधा ग्लूटेन-फ्री है?
हाँ, अश्वगंधा ग्लूटेन-फ्री है।
5. क्या अश्वगंधा में कोई गंध होती है?
अश्वगंधा पाउडर में एक तेज गंध होती है, जैसा कि कई लोगों द्वारा "घोड़े की तरह गंध" के रूप में वर्णित किया गया है, जो बिल्कुल अश्वगंधा "घोड़े की गंध" नाम के अर्थ की तरह है।
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