Makar Sankranti 2024: विभिन्न राज्यों में संक्रांति का इतिहास और ख़ास व्यंजन



नए साल की शुरुआत पॉज़िटिविटी और अच्छे वाइब्स के साथ हो चुकी है। हर साल की तरह इस बार भी मकर संक्रांति आने वाला है। इसे मकर संक्रांति इसलिए कहते है क्योंकि इस दिन भगवान सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं।
इसे पूरे भारत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है लेकिन हर जगह एक समान हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। अलग-अलग नामों के साथ इसे मनाने का तरीका भी हर स्थानों पर अलग-अलग है। इस दौरान उत्तर भारतीय लोग भगवान को श्रद्धांजलि देते हैं, विभिन्न क्षेत्रों में पतंग उड़ाते हैं और तिल और गुड़ से बनी मिठाइयां खाते हैं। जबकि दक्षिण भारतीय राज्यों में जल्लीकट्टू कार्यक्रम का आनंद लेकर इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार के विभिन्न नामों और ख़ास व्यंजनों के बारे में जानने के लिए ये ब्लॉग पढ़ें!
विषयसूची
मकर संक्रांति क्या है?
मकर संक्रांति 14 जनवरी को क्यों मनाई जाती है?
विभिन्न स्थानों में संक्रांति मनाने का तरीका
मकर संक्रांति के विभिन्न नाम क्या हैं?
निष्कर्ष
सामान्य प्रश्न
संदर्भ लिंक
मकर संक्रांति क्या है?
मकर संक्रांति एकमात्र हिंदू त्योहार है जो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। यह लूनर कैलेंडर के बजाय सोलर कैलेंडर पर आधारित है। ये भगवान सूर्य के दक्षिणायन (South) से उत्तरायण (North) की ओर प्रवेश का प्रतीक है जो सर्दियों के मौसम के अंत को दर्शाता है।
खैर, मकर का अर्थ है "मकर राशि'', और संक्रांति का अर्थ है "परिवर्तन और इस दौरान सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है।
इतना ही नहीं, मकर संक्रांति भारत के विभिन्न हिस्सों में फसल के मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक है, जहां नई फसलों की पूजा की जाती हैं। इस अवसर पर लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं और तिल, मूंग, चावल और गुड़ से बनी मिठाइयां भी खाते हैं।
मकर संक्रांति 14 जनवरी को क्यों मनाई जाती है?
क्या आपके मन में भी ये सवाल आता है की ये त्योहार 14 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है? ऐसा इसलिए क्योंकि यह सोलर साइकिल के अनुसार मनाया जाने वाला एकमात्र हिंदू त्योहार है। साथ ही ये सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की गतिविधि है। यह घटना आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 14 जनवरी को होता है लेकिन लीप ईयर में 15 जनवरी को पड़ती है।
इसके अलावा मकर संक्रांति की कहानियां अन्याय पर न्याय की जीत से जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शनि, जिनके अपने पिता भगवान सूर्य के साथ खराब संबंध थे, इस दिन उनके साथ सुलह कर ली थी।
एक अन्य ग्रंथ में कहा गया है कि इस दिन, भगवान विष्णु ने एक राक्षस को हराया था, जो नकारात्मकता के अंत का प्रतीक था। देवता इस दिन को अपने वर्ष की शुरुआत मानते हैं, जिसमें उत्तरायण (6 महीने) को दिन और दक्षिणायन (6 महीने) को रात माना जाता है। यह दिन ध्यान, दान और पवित्र नदियों में स्नान के लिए आदर्श है।
विभिन्न स्थानों में संक्रांति मनाने का तरीका
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मकर संक्रांति अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है। आइए प्रत्येक के बारे में जानें:
1. उत्तर भारत में मकर संक्रांति
मकर संक्रांति को उत्तर भारतीय राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे लोहड़ी (पंजाब), खिचड़ी (यूपी और बिहार), उत्तरायण (गुजरात और दिल्ली), और सक्रांत (हिमाचल प्रदेश और हरियाणा)। ये फेस्टिवल सर्दियों के अंत और लंबे दिनों के शुरुआत का प्रतीक है। ये हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण है क्यों की इस दौरान नए फसल और सूर्य भगवान की पूजा की जाती हैं।
प्रमुख परम्पराएं-
बॉन फायर और लोहड़ी डांस: आमतौर पर पंजाब के लोग इस त्योहार को भगवान से प्रार्थना करके और बॉन फायर के चारों ओर डांस करके मनाते हैं।
पतंग उड़ाना: पूरे उत्तर भारत में, विशेष रूप से दिल्ली और उत्तर प्रदेश में, इस त्योहार का एक प्रमुख आकर्षण पतंग उड़ाना है।
मिठाइयां और उपहार: इस दौरान उत्तर भारतीय महिलाएं मिठाइयां बनाती हैं, जो विशेषकर तिल और गुड़ से बने होते हैं।
मकर संक्रांति में खाने योग्य भोजन और मिठाइयां
2. दक्षिण भारत में मकर संक्रांति
दक्षिण में, संक्रांति को चार दिनों तक फसल उत्सव पोंगल के रूप में मनाया जाता है। दक्षिण भारत में मकर संक्रांति की कुछ प्रमुख परंपरा निम्नलिखित हैं:
भोगी पोंगल: इस दिन साफ-सफाई कर पुरानी चीजों को हटाकर नए मिट्टी के बर्तन खरीदे जाते हैं, जो एक नई शुरुआत का प्रतीक है।
सूर्य पोंगल: पोंगल के दूसरे दिन, लोग भरपूर फसल के लिए सूर्य देव (सूर्य) से प्रार्थना करते हैं और चावल और गुड़ से बने मीठे व्यंजन चढ़ाते हैं।
मट्टू पोंगल: इस त्यौहार के तीसरे दिन गाय और बैलों को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। कुछ जगहों पर जल्लीकट्टू भी मनाते हैं, जो बैलों के प्रदर्शन का त्योहार है।
कन्नुम पोंगल: अंतिम दिन, लोग खेतों में जाते हैं और पिकनिक का आनंद लेते हैं। इस दौरान कई पारिवारिक समारोह आयोजित किये जाते हैं और पारंपरिक खेल खेले जाते हैं।
मकर संक्रांति में खाने योग्य भोजन और मिठाइयां
3. पश्चिमी भारत में मकर संक्रांति
संक्रांति पश्चिमी भारत में उत्साहपूर्वक मनाई जाती है और इसे "उत्तरायण" कहा जाता है।
गुजरात में यह दो दिनों तक मनाया जाता है। 14 जनवरी को इसे उत्तरायण, और 15 जनवरी को वासी-उत्तरायण के रूप में जाना जाता है। पूरे राज्य में पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जहां हर कोई अपनी पतंग से एक दूसरे के साथ प्रतियोगिता करता है।
मकर संक्रांति में खाने योग्य भोजन और मिठाइयां
4. पूर्वी भारत में मकर संक्रांति
पूर्वी भारत में मकर संक्रांति एक सप्ताह तक मनाई जाती है। इन जगहों पर इसे माघ बिहू कहा जाता है और यह फसल के मौसम के अंत का प्रतीक है। त्योहार के दिन टेकली-बोंगा (Tekeli-Bonga) और बुलफाइटिंग भी आयोजित की जाती है।
राइस केक और लारा (नारियल की मिठाइयां) इस दौरान खाए जाने वाले लोकप्रिय व्यंजन हैं।
मकर संक्रांति में खाने योग्य भोजन और मिठाइयां
मकर संक्रांति के विभिन्न नाम क्या है?
मकर संक्रांति पूरे भारत में अलग-अलग नामों और विविधताओं के साथ मनाया जाता है। इनमे शामिल हैं:
निष्कर्ष
मकर संक्रांति का हिन्दू धर्म में काफी ज़्यादा महत्व है। इसे पूरे भारत में अलग-अलग तरीकों से उल्लास के साथ मनाया जाता है। ये फेस्टिवल हार्वेस्टिंग और नए मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। दूसरे शब्दों में कहे तो इसे नए साल की शुरुआत की तरह मनाया जाता है।
कई लोग इसे कई नई रीति-रिवाजों और परंपराओं जैसे पतंग उड़ाना, मिठाइयां खाना और पूजा पाठ के साथ मनाते हैं। त्योहार मनाने के विभिन्न तरीकों को समझना और पारंपरिक व्यंजनों को आज़माना इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
सामान्य प्रश्न
1. क्या मकर संक्रांति और लोहड़ी एक है?
मकर संक्रांति और लोहड़ी एक ही त्यौहार है जो पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन इन्हे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे उत्तर में लोहड़ी, दक्षिण में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण और पश्चिम में मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
2. मकर संक्रांति पर क्या करें और क्या न करें?
मकर संक्रांति के दौरान, आप मछली पकड़ने, स्नान करने, कपड़े और भोजन दान करने, उपहारों का आदान-प्रदान करने और त्योहारों में भाग लेने का आनंद ले सकते हैं। मौसम के बदलाव और पाचन संबंधी समस्याओं से बचने के लिए इस दिन प्याज़, लहसुन और अधिक मसालेदार खाने से बचने की सलाह दी जाती है।
3. मकर संक्रांति 2024 कब है?
इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 सोमवार को है।
4. हम मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं?
भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाई जाने वाली मकर संक्रांति एक नई शुरुआत का प्रतीक है। और तो और इसे फसल उत्सव के रूप में भी जाना जाता है।
5. क्या मकर संक्रांति पर स्नान करना ज़रूरी है?
हाँ, मकर संक्रांति पर स्नान करना ज़रूरी माना जाता है क्यों की यह त्योहार नई शुरुआत का प्रतीक है, इसलिए गंगा और यमुना में पवित्र स्नान करना सुबह माना जाता है।
6. मकर संक्रांति 14 जनवरी को क्यों मनाई जाती है?
यह सोलर साइकिल (solar cycle) और एस्ट्रोनॉमिकल इवेंट्स (astronomical events) द्वारा नियंत्रित होता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian calendar) के अनुसार यह आमतौर पर 14 जनवरी को होता है लेकिन लीप ईयर में ये 15 जनवरी को पड़ता है।
संदर्भ लिंक
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