क्या ज़्यादा वज़न वाली महिलाओं को प्रेगनेंसी में आती है परेशानी? जानिए प्रेगनेंसी के लिए वज़न प्रबंधन के तरीके!

Hindi

Updated-on

Published on: 23-Jul-2024

Min-read-image

10 min read

views

109 views

profile

Vishalakshi Panthi

Verified

क्या ज़्यादा वज़न वाली महिलाओं को प्रेगनेंसी में आती है परेशानी? जानिए प्रेगनेंसी के लिए वज़न प्रबंधन के तरीके!

क्या ज़्यादा वज़न वाली महिलाओं को प्रेगनेंसी में आती है परेशानी? जानिए प्रेगनेंसी के लिए वज़न प्रबंधन के तरीके!

share on

  • Toneop facebook page
  • toneop linkedin page
  • toneop twitter page
  • toneop whatsapp page

क्या आप अपने वज़न को लेकर चिंतित हैं और यह आपकी गर्भवती होने की क्षमता को कैसे प्रभावित कर सकता है जानना चाहती हैं? यदि आप सोच रही हैं कि क्या ज़्यादा वज़न आपके गर्भधारण की संभावनाओं या आपकी गर्भावस्था के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, तो आप अकेली नहीं हैं। यदि आपका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 30 या उससे ज़्यादा है, तो ओबेसिटी फर्टिलिटी और प्रेगनेंसी के परिणामों को प्रभावित करने वाली एक समस्या बन सकती है। हालांकि यह गर्भधारण में बाधा नहीं सकता है, लेकिन मां और बच्चे के लिए समस्याएं होने की संभावना बढ़ सकती हैं। ये समस्याएं गेस्टेशनल डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर से लेकर बर्थ डिफेक्ट या सी-सेक्शन तक हो सकती हैं।


प्रेगनेंसी के दौरान मोटापे को नियंत्रित करने के लिए, अच्छा आहार लेना, नियमित रूप से व्यायाम करना और हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह मानना ज़रूरी है। मोटापे से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं को अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर के साथ मिलकर अपनी खास देखभाल करनी चाहिए। इसमें हेल्थ केयर प्लान भी शामिल होने चाहिए, जिनका उद्देश्य रिस्क को कम करना और आपको स्वस्थ प्रेगनेंसी प्रदान करना है। यह ब्लॉग प्रेगनेंसी और मोटापे के विज्ञान पर प्रकाश डालता है, संभावित स्वास्थ्य प्रभावों पर चर्चा करता है, वज़न नियंत्रण के तरीकों की सलाह देता है, और मां बनने की दिशा में एक स्वस्थ तरीका कैसे तैयार करें बताता है। विस्तार से जानने के लिए आगे पढ़ें।   

विषय सूची

  1. क्या ज़्यादा वज़न वाली महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं?

  2. स्वस्थ प्रेगनेंसी के लिए वज़न प्रबंधन कैसे करें?

  3. विशेषज्ञ की सलाह

  4. निष्कर्ष

  5. सामान्य प्रश्न 

  6. संदर्भ 

क्या ज़्यादा वज़न वाली महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं?

हां, ज़्यादा वज़न वाली महिलाएं निश्चित रूप से प्रेग्नेंट हो सकती हैं, लेकिन उन्हें सामान्य वज़न वाली महिलाओं की तुलना में ज़्यादा चुनौतियों और स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है। यहां इन विचारों पर विस्तार से नज़र डाली गई है:

1. फर्टिलिटी और गर्भाधान या कंसेप्शन

ओवुलेटरी डिसफंक्शन 

ज़्यादा वज़न वाली महिलाएं अक्सर इसका अनुभव करती हैं। अनियमित पीरियड साइकिल और ओव्यूलेटरी डिसफंक्शन से फर्टिलिटी कठिन हो सकती है। यह काफी हद तक पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) जैसी स्थितियों के कारण होता है। साथ ही हॉर्मोनल असंतुलन के कारण ओव्यूलेशन को प्रभावित करता है।

हार्मोनल असंतुलन

शरीर के फैट से एस्ट्रोजन लेवल बढ़ जाता है। यह हार्मोन असंतुलन रिप्रोडक्टिव सिस्टम के सामान्य कार्य को बाधित कर सकता है, जिससे गर्भधारण करना अधिक कठिन हो जाता है।

सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी)

हालांकि ज़्यादा वज़न वाली महिलाएं इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) जैसी एआरटी मेथड का उपयोग कर सकती हैं, लेकिन उनका सक्सेस रेट आम तौर पर कम होता है। ऐसा माना जाता है कि इसका कारण परिवर्तित हार्मोनल वातावरण और शरीर का ज़्यादा वज़न होना मेटाबॉलिज़्म से जुड़ी  समस्या है।

यह भी पढ़ें: भारत में मोटापे के कारण और इसे कम करने की रणनीतियाँ | टोनऑप 

2. प्रेगनेंसी और मेटरनल हेल्थ

गेस्टेशनल डायबिटीज़

जिन महिलाओं का वज़न ज़्यादा होता है उनमें गर्भकालीन मधुमेह या गेस्टेशनल डायबिटीज़ होने का खतरा बढ़ जाता है। गेस्टेशनल डायिबिटीज़ की जटिलताओं में मैक्रोसोमिया या औसत से बड़ा बच्चा होना शामिल है, जिससे डिलीवरी में कठिनाई आती है और सिजेरियन सर्जरी की संभावना बढ़ जाती है।

हाइपरटेंशन और प्रीक्लेम्पसिया

ज़्यादा वज़न वाली गर्भवती महिलाओं को इसका खतरा अधिक होता है। गर्भावस्था में हाइपरटेंशन से जुड़े डिसऑर्डर, जैसे कि प्रीक्लेम्पसिया, ऐसी स्थितियां जो माँ और बच्चे दोनों के लिए गंभीर होती हैं। इन स्थितियों में दोनों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए जल्दी डिलीवरी की जाती है।

निगरानी बढ़ाएं

ज़्यादा वज़न वाली प्रेग्नेंट महिलाओं को संभावित जटिलताओं की निगरानी करने और मां और भ्रूण दोनों की भलाई के लिए अक्सर चिकित्सा जांच की ज़रूरत होती है।

गर्भधारण से पहले काउंसलिंग लें

अधिक वज़न वाली महिलाओं को प्रेगनेंसी से पहले अपने स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए प्रेगनेंसी से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। इसमें अक्सर गर्भावस्था के दौरान जोखिमों को कम करने के लिए वज़न प्रबंधन रणनीतियां, पोषण संबंधी मार्गदर्शन और शारीरिक गतिविधि की सिफारिशें शामिल हैं।

यह भी पढ़ें: कैसे पता करें की आप ओवरवेट हैं या नहीं? इन लक्षणों से पहचाने ओबेसिटी!

3. शिशु के लिए जोखिम

मेटरनल ओबेसिटी से मैक्रोसोमिया (बच्चे का औसत से अधिक बड़ा होना), न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, समय से पहले जन्म और लंबे समय के लिए  स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। जैसे शिशुओं में बचपन का मोटापा और मेटाबॉलिज़्म डिसऑर्डर। इन सभी स्थितियों पर विस्तार से समझें:

मैक्रोसोमिया 

मैक्रोसोमिया में अधिक वज़न वाली महिलाओं से पैदा होने वाले शिशुओं के सामान्य से ज़्यादा बड़े होने की संभावना होती है। इससे बर्थ ट्रॉमा का खतरा बढ़ जाता है और वजाइनल डिलीवरी मुश्किल हो जाती है।

जन्म दोष 

ज़्यादा वज़न वाली महिलाओं से जन्म लेने वाले शिशुओं में न्यूरल ट्यूब दोष और अन्य जन्मजात परेशानियों की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह गर्भ में मेटाबॉलिज़्म और हॉर्मोनल वातावरण से संबंधित है।

समय से पहले जन्म 

अधिक वज़न वाली महिलाओं में समय से पहले डिलीवरी होने की संभावना ज़्यादा होती है। समय से पहले जन्म से शिशु को सांस, विकास और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

दीर्घकालिक स्वास्थ्य 

जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, अधिक वज़न वाली माताओं के बच्चों में मोटापे और मेटाबॉलिज़्म से जुड़ी बीमारियां होने की संभावना ज़्यादा होती है। इसमें इंट्रायूट्रिन वातावरण और जेनेटिक फैक्टर दोनों की भूमिका होती है।

स्वस्थ प्रेगनेंसी के लिए वज़न प्रबंधन कैसे करें?


इसमें संतुलित पोषण, फिज़िकल एक्टिविटी, पर्याप्त आराम और नियमित चिकित्सा जांच शामिल है। यहां बताया गया है कि आप स्वस्थ गर्भावस्था कैसे प्राप्त कर सकती हैं: 

1. हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह लें

  • एक हेल्थ एक्सपर्ट आपकी स्थिति को समझ कर और सही मार्गदर्शन देने में मदद करेगा। वे आपकी प्रेगनेंसी की प्रगति की निगरानी कर सकते हैं। आपकी सुरक्षा और आपके बच्चे के स्वास्थ्य दोनों को सुनिश्चित करते हुए, आपकी ज़रूरतों के अनुसार आपको सिफारिश दे सकते हैं।


  • नियमित प्रेगनेंसी की जांच के लिए अपॉइंटमेंट लें और अपने पोषण, व्यायाम, आहार और अपनी किसी भी चिंता के बारे में बात करें। खासकर जब आपको डायबिटीज़ या हाई ब्लड प्रेशर जैसी कोई समस्या पहले से है तो अपने चिकित्सक को इसकी जानकारी दें।


यह भी पढ़ें: प्रेगनेंसी में पेट दर्द का कारण क्या है? जानिए पेट दर्द के उपचार 

2. संतुलित आहार अपनाएं

  • संतुलित आहार आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है जो बच्चे के विकास और मां के स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है। फोलिक एसिड जैसे ज़रूरी पोषक तत्व न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट को रोकते हैं, आयरन खून की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है और कैल्शियम हड्डियों को मज़बूत बनाता है।




अपने आहार में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों को शामिल करें, जैसे:

  • ताज़ा उपज और फल: अलग-अलग तरह के विटामिन और खनिजों के लिए, अलग-अलग रंगों के फल और सब्ज़ियों का सेवन करें।

  • साबुत अनाज: ज़्यादा फाइबर और खनिजों के लिए, प्रोसेस्ड ग्रेन्स के बजाय साबुत अनाज का चयन करें।

  • लीन प्रोटीन: पोल्ट्री, मछली, बीन्स और नट्स जैसे स्रोत शामिल करें।

  • स्वस्थ वसा: एवोकाडो, नट्स और ऑलिव ऑयल से प्राप्त फैट का चयन करें।

  • डेयरी: कैल्शियम और विटामिन डी के लिए डेयरी उत्पादों का सेवन करें।

3. पोरशन कंट्रोल का प्रयास करें

  • संयमित खान-पान से वज़न बढ़ने से बचने में मदद मिलती है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर और गेस्टेशनल डायबिटीज़ जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

  • अपनी भूख पर ध्यान देते हुए अपने आहार की मात्रा को निश्चित करें। खाना परोसने के लिए आप छोटी प्लेट का उपयोग करें। 

4. हाइड्रेटेड रहें

  • पानी एमनियोटिक फ्लूइड के स्तर को बनाए रखने, खून की मात्रा में बढ़ोतरी करने में और पाचन में सहायता करने में मदद करता है।

  • दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीने का लक्ष्य रखें या अपने साथ हमेशा पानी की बोतल रखें।

5. प्रोसेस्ड फूड और शुगर के सेवन को कम करें

  • प्रोसेस्ड फूड और शुगर बेवरेजेस में अक्सर अनहेल्दी फैट होता है, शुगर और एम्प्टी कैलोरी फूड (वे खाद्य पदार्थ जिनमें कैलोरी के अलावा कोई भी पोषक तत्व नहीं होते जैसे- कैंडी, जंक फूड आदि) का लेवल हाई होता है। ऐसे खाद्य पदार्थ वज़न बढ़ाने और संभावित पोषक तत्वों की कमी करते हैं।

  • स्नैक्स, फास्ट फूड और मीठे पेय पदार्थों का सेवन कम करें। एडिशनल शुगर और अनहेल्दी फैट से सावधान रहने के लिए न्यूट्रिशन लेबल को पढ़ें।

6. नियमित व्यायाम करें

  • व्यायाम वज़न को नियंत्रित करने, तनाव कम करने, मूड को सुधारने और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए, यह पीठ दर्द और कब्ज़ जैसी सामान्य परेशानियों से भी राहत दिला सकता है।

  • हर सप्ताह कम से कम 150 मिनट के मीडियम इंटेंसिटी वाले व्यायाम का लक्ष्य रखें। सुरक्षित गतिविधियों में शामिल हैं:

                  - चलना

                  - तैरना

                  - प्रीनेटल योग

                  - स्टेशनरी वर्कआउट जैसे साइकिल चलाना

7. अपने शरीर की सुनें

  • बहुत ज़्यादा मेहनत करना हानिकारक हो सकता है, जिससे इंजरी का खतरा बढ़ सकता है। आपके शरीर के संकेतों पर ध्यान देने से गतिविधि के सुरक्षित स्तर को बनाए रखने में मदद मिलती है।

  • यदि आपको व्यायाम के दौरान दर्द, चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ या कोई असामान्य लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत रुकें और अपने हेल्थ केयर एक्सपर्ट से परामर्श करें।

8. पर्याप्त आराम करें

  • शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के उपचार के लिए नींद ज़रूरी है। अच्छी नींद और आराम लेना तनाव को कम करता है, इम्यूनिटी को बढ़ाता है और हॉर्मोनल संतुलन को बनाए रखता है। ये सभी प्रेगनेंसी के दौरान महत्वपूर्ण हैं।

  • हर रात सात से नौ घंटे की नींद लेने की कोशिश करें। बिस्तर पर जाने से पहले, एक रेगुलर स्लीप शेड्यूल स्थापित करें, अपने बेडरूम को आरामदायक बनाएं और कुछ रेस्टिंग तकनीक जैसे योग निद्रा में शामिल हों।

9. वज़न बढ़ने पर नज़र रखें

  • नियंत्रित रूप से वज़न बढ़ने से बच्चे के विकास में मदद मिलती है। साथ ही प्रीक्लेम्पसिया और सिजेरियन डिलीवरी जैसी प्रेगनेंसी कॉम्प्लिकेशन का रिस्क कम होता है।

  • वेट गेन के लिए अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर की गाइडलाइन का पालन करें, जो आमतौर पर प्रेगनेंसी से पहले के सामान्य वज़न वाली महिलाओं के लिए 25-35 पाउंड तक होता है। प्रीनेटल जांच के दौरान अपने वज़न में बढ़ोतरी पर नज़र रखें और ज़रूरत के अनुसार अपने आहार और गतिविधि के स्तर को एडजस्ट करें।

यह भी पढ़ें: वज़न कम करने के लिए ये 5 होल ग्रेन ब्रेड हैं सबसे बेस्ट!

 

आहार विशेषज्ञ की सलाह

एक आहार विशेषज्ञ के रूप में, मैं मोटापे से ग्रस्त महिलाओं को, जो प्रेग्नेंट होने की कोशिश कर रही हैं या पहले से ही प्रेग्नेंट हैं, स्वस्थ गर्भावस्था सुनिश्चित करने की सलाह दूंगी। साथ ही ज़्यादा वज़न बढ़ने से रोकने के लिए संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार पर ध्यान देने की सलाह देती हूं। इसका मतलब है कि आपको ब्लड शुगर लेवल को स्थिर रखने के लिए भरपूर मात्रा में साबुत अनाज, फल और सब्ज़ियां खाना चाहिए। अपने बच्चे के दिमाग के विकास के लिए हेल्दी फैट, खासकर ओमेगा-3 से भरपूर फूड्स को लेना न भूलें। 


प्रोसेस्ड फूड का सेवन कम कर दें या इसे पूरी तरह से त्याग दें। ये आपके शरीर में ब्लड शुगर लेवल और कैलोरी इनटेक को बढ़ाता है। इसके अलावा हाइड्रेटेड रहें और सुनिश्चित करें कि आप पोषक तत्वों जैसे फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम और विटामिन ले रही हैं।

डॉ. अदिति उपाध्याय

निष्कर्ष 

हालांकि ज़्यादा वज़न होना और गर्भवती होना एक चिंता का विषय है। इसे हेल्दी प्रेग्नेंसी में बाधा नहीं बनना चाहिए। अधिक वज़न होने और प्रेग्नेंट होने से जुड़े संभावित जोखिमों और प्रेगनेंसी में ज़्यादा वज़न के दौरान वेट मैनेजमेंट के लाभों को समझकर, आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती हैं। साथ ही अपने विकासशील बच्चे के लिए एक आदर्श माहौल बना सकती हैं। ध्यान रखें कि थोड़ा सा वज़न कम करने से भी प्रेगनेंसी के परिणामों में काफी सुधार हो सकता है।

सामान्य प्रश्न

1. प्रेगनेंसी ICD-10 कोड क्या है?

मोटापा-जटिल गर्भावस्था के लिए ICD-10 कोड O99.21 है। यह कोड बताता है कि महिला के लिए प्रेगनेंसी, चाइल्ड बर्थ या पोस्टपार्टम पीरियड के दौरान मोटापा जटिलताओं या कॉम्प्लिकेशंस का कारण बनता है। हर ट्राइमेस्टर में O99.210 से O99.215 तक विशिष्ट कोड होते हैं, जो आपको विस्तार से जानकारी देते हैं। 


2. गर्भावस्था के दौरान औसत वज़न कितना बढ़ता है?

जिन महिलाओं का वज़न सामान्य से शुरू होता है, उनके लिए प्रेगनेंसी के दौरान औसत वज़न आमतौर पर 11 से 16 किलोग्राम के बीच बढ़ता है। हालांकि, यह मां के शुरुआती वज़न और पूरे स्वास्थ्य के आधार पर अलग हो सकता है।

संदर्भ

ToneOp क्या है?

ToneOp  एक हेल्थ एवं फिटनेस एप है जो आपको आपके हेल्थ गोल्स के लिए एक्सपर्ट द्वारा बनाये गए हेल्थ प्लान्स प्रदान करता है। यहाँ 3 कोच सपोर्ट के साथ-साथ आप अनलिमिटेड एक्सपर्ट कंसल्टेशन भी प्राप्त कर सकते हैं। वेट लॉस, मेडिकल कंडीशन, डिटॉक्स  जैसे हेल्थ गोल्स के लिए डाइट, नेचुरोपैथी, वर्कआउट और योग प्लान्स की एक श्रृंखला के साथ, ऐप प्रीमियम स्वास्थ्य ट्रैकर, रेसिपी और स्वास्थ्य सम्बन्धी ब्लॉग भी प्रदान करता है। अनुकूलित आहार, फिटनेस, प्राकृतिक चिकित्सा और योग प्लान प्राप्त करें और ToneOp के साथ खुद को बदलें।

Subscribe to Toneop Newsletter

Simply enter your email address below and get ready to embark on a path to vibrant well-being. Together, let's create a healthier and happier you!

Download our app

Download TONEOP: India's Best Fitness Android App from Google Play StoreDownload TONEOP: India's Best Health IOS App from App Store

Comments (0)


Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Explore by categories