PCOD और PCOS में अंतर, कारण और आहार प्रबंधन

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Published on: 10-Jun-2023

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Updated on : 02-Nov-2023

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Akriti Tiwary

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क्या PCOD और PCOS में कोई अंतर नहीं है। आज भी ऐसी कई महिलाएं हैं जो दोनों में अंतर नहीं जानती। आम तौर पर लोग दोनों शब्दों का एक साथ उपयोग करते हैं। खासकर के तब, जब PCOD, PCOS और प्रेगनेंसी के बीच संबंध को समझने की कोशिश की जाती हैं। हालांकि इसमें ओवरीज़ संबंधित और हार्मोनल बदलाव जैसी कई समानता हैं लेकिन दोनों स्थितियाँ काफी अलग-अलग होती हैं। 

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिस्फंक्शन (PCOD) और पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) महिलाओं में पाए जाने वाली सबसे आम समस्याएं हैं जिनका संबंध उनके ओवरीज़ और हार्मोनल चेंज से हैं। PCOD और PCOS अक्सर एक दूसरे की जगह या एक साथ बताये जाते हैं, लेकिन दोनों में काफी अंतर है।

विषय सूची

1. PCOD क्या है?

2. PCOS क्या है ?

3. PCOD के क्या कारण हैं?

4. PCOS के क्या कारण हैं?

5. PCOD और PCOS में क्या अंतर है?

6. PCOD और PCOS के लिए जीवनशैली में बदलाव

7. PCOD और PCOS के लिए आहार प्रबंधन

8. विशेषज्ञ की सलाह 

9. निष्कर्ष

10. सामान्य प्रश्न

PCOD क्या है?

PCOD एक मेडिकल कंडीशन हैं जिसमे ओवरीज़ कई अविकसित और आधे विकसित एग्स को  उत्पन्न करती हैं। ये एग्स आगे जाकर सिस्ट् का रूप ले लेते है। जैसा की हम सभी जानते हैं की सभी महिलाओं के पास दो ओवरीज़ होते हैं जो हर महीने एक एग को उत्पन्न करती हैं। 

PCOS क्या है ?

PCOS के वक़्त ओवरीज़ से एण्ड्रोजन नाम के एक हार्मोन की भी उत्पत्ति होती हैं जिससे महिला की फर्टिलिटी और स्वास्थ्य में बाधा आती है। PCOD के अच्छे इलाज के लिए अक्सर ऐसे लक्षणों की गंभीरता को कम करने पर ध्यान दिया जाता है।

PCOD के क्या कारण हैं?

PCOD का मुख्य कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। हालांकि मेल हार्मोन (हाइपरएंड्रोजेनिज़्म), सूजन, अधिक इंसुलिन और हेरीडिटी के साथ PCOD की तुलना की जती हैं। PCOD के अन्य कारणों  में शुरुआती मेंस्ट्रुएशन, प्रदूषण और अस्वस्थ जीवनशैली भी शामिल हैं। PCOS के क्या कारण हैं?

PCOS के कारण अभी पूरी तरह से ज्ञात नहीं हैं। लेकिन, यहाँ कुछ कारण सूचीबद्ध किये गए हैं जिनसे यह बढ़ सकता है: 

1. टेस्टोस्टेरोन लेवल में वृद्धि: 

इंसुलिन और ल्यूटिनाइज़िंग हार्मोन का स्तर बढ़ने पर मेल हार्मोन अधिक मात्रा में रिलीज़ होते हैं। ओव्यूलेशन में व्यवधान के कारण PCOS विकसित होता है।

2. ल्यूटिनाइज़िंग हार्मोन बढ़ना: 

पुरुषों में पाया जाने वाली पिट्यूटरी ग्लेंड ल्यूटिनाइज़िंग हार्मोन उत्पन्न करती है, जो ओव्यूलेशन में सहायता करती है। साथ ही साथ ये कॉर्पस ल्यूटियम और पुरुष ल्यूटिनाइज़िंग हार्मोन का निर्माण करते हैं। जब ल्यूटिनाइज़िंग हार्मोन का लेवल बढ़ता है, तो मेल हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं।

3. प्रोलैक्टिन हार्मोन का बढ़ना:

प्रोलैक्टिन वो हार्मोन हैं जो चाइल्ड बर्थ के बाद दूध के प्रोडक्शन में सहायता करता है। इस हार्मोन के बढ़ने से एस्ट्रोजन की मात्रा कम हो जाती है जो हार्मोनल इम्बैलेंस का कारण बनता  हैं।   

PCOD और PCOS में अंतर -

कुछ लोग अक्सर PCOD और PCOS को लेकर भ्रमित रहते हैं। उस भ्रम को दूर करने के लिए, ToneOp आपको PCOD और PCOS से जुड़े सभी आवश्यक तथ्यों द्वारा दोनों के अंतर से अवगत कराएगा। 

1. नेचर में अंतर:

PCOS एक गंभीर स्थिति है, जबकि PCOD इतना गंभीर नहीं है। PCOD का इलाज एक्सरसाइज़ और आहार में बदलाव के साथ किया जा सकता है। वहीं, PCOS एक मेटाबोलिक डिसऑर्डर है।

2. प्रेरक कारण: 

PCOS एंडोक्राइन सिस्टम डिसऑर्डर है, जबकि PCOD हार्मोन इम्बैलेंस के कारण होने वाली स्थिति है। दोनों स्थितियों को हार्मोनल इम्बैलेंस का कारण माना जाता है।

अध्यन के अनुसार, मेल हार्मोन के बढ़ने की वजह से ओवरीज़ से एग्स बनने में रुकवाट आती है। अतिरिक्त एण्ड्रोजन उत्पादन को इंसुलिन रेज़िस्टेंस और सूजन का कारण भी समझा जाता है।

3. प्रेगनेंसी के दौरान  PCOD और PCOS का प्रभाव:

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिसीज़ सभी महिलाओं में इंफर्टिलिटी का कारण नहीं होता और इसे प्रेगनेंसी में बाधा नहीं माना जाना चाहिए। लगभग 80% मामलों में, महिलाएं कम से कम सहायता से एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं। हार्मोनल इम्बैलेंस के कारण PCOS वाली महिलाओं के लिए गर्वावस्था पीड़ा दायक हो सकती हैं, क्योंकि पॉलीसिस्टिक ओवेरी सिंड्रोम में एण्ड्रोज़न का लेवल बहुत अधिक होता है।

आम तौर प्रेगनेंसी के लिए संतुलित हार्मोनल साइकिल होना बहुत ज़रूरी हैं। ये ओवम को इंटरकोर्स के बाद स्पर्म के साथ छोड़ने में आसान बनाती है। 

4. PCOS के गंभीर परिणाम

PCOS वाली महिलाओं में डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज़, मोटापा और यहाँ तक ​​कि एंडोमेट्रियल कैंसर भी विकसित हो सकता है।

5. PCOS के लक्षण शुरुआती दिनों में दिखते हैं: 

PCOS के लक्षण किशोरावस्था शुरू होते ही लड़कियों में दिखाई देने लगते हैं। मेटाबॉलिक तनाव के कारण चेहरे पर दाग, बालों का अत्यधिक बढ़ना और वज़न बढ़ना आदि होते हैं।

6. ओवुलेशन साइकिल में अंतर:

PCOD वाली महिलाओं में PCOS के समान लक्षण हो सकते हैं, लेकिन वे नियमित रूप से ओवुलेशन करने की क्षमता बनाए रखती हैं और इस तरह वे आसानी से प्रेग्नेंट हो सकती हैं। दूसरी ओर, PCOS रोग एक गंभीर हार्मोनल इम्बैलेंस के कारण ओवुलेशन नहीं कर पाते। 

PCOD और PCOS के लिए जीवन शैली में बदलाव

PCOD और PCOS मुख्य रूप से फीमेल हार्मोन बैलेंस को प्रभावित करता है। यह कुछ चीज़े हैं जिन्हें करने से हम खुद को स्वस्थ रख सकते हैं - 

1. स्वस्थ शरीर के लिए वज़न काम करना:

शरीर को स्वस्थ रखने और वज़न घटाने से कई फायदे होते हैं। इससे कोलेस्ट्रॉल लेवल, डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज़ जैसी बीमारी नियंत्रण में रहती हैं। इसके अलावा ये इन्सुलिन की मात्रा को सही रखता है। 18.5-24.9 का BMI महिलाओं के लिए आदर्श और स्वस्थ माना जाता है। इसके विपरीत, 30 या उससे अधिक BMI स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता।

एण्ड्रोज़न लेवल मेंस्ट्रुअल साइकिल में भी ओव्यूलेशन को फिर से शुरू करने में मदद करता है। स्वस्थ BMI प्राप्त करने के लिए वज़न कम करना बहुत ज़रूरी हैं। इसके लिए अच्छा आहार और एक्सरसाइज करना अनिवार्य है। 

2. रोज़ वर्कआउट करना आवश्यक है: 

यदि आपको PCOD या PCOS है, तो नियमित एक्सरसाइज़ और हेल्थ पर ध्यान देने से आप अपना वज़न नियंत्रित रख सकते हैं। इससे शरीर में ब्लड शुगर का लेवल भी बैलेंस रहता है। 

PCOD और PCOS के लिए आहार प्रबंधन

ये बात समझना बहुत ज़रूरी है कि कैसे सेहरी जीवनशैली, जंक फ़ूड और शुगर कई मेडिकल कंडीशन जैसे PCOD और PCOS को बढ़ा रही हैं।  

इन मेडिकल कंडीशन के लिए एक स्वस्थ डाइट दोनों लक्षणों को रोकने या कम करने में मदद कर सकती है। PCOS को मोटापे और अधिक वज़न से जोड़ा गया है और इस कंडीशन में वज़न कम करना बेहद मुश्किल भी हो जाता है। 

PCOS रोगियों को मुख्य रूप से वज़न कम करने की सलाह दी जाती है क्योंकि नियमित एक्सरसाइज के साथ स्वस्थ और संतुलित आहार मेटाबॉलिज़्म को बढ़ा सकता है, इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार कर सकता है और सुरक्षित रूप से वज़न घटाने में सहायता कर सकता है। PCOS रोगियों में हार्मोनल इम्बैलेंस और ब्लड कोलेस्ट्रॉल के लेवल का हाई होना आम बात है।

बहुत कम ही ऐसी भारतीय महिलाएं है जिनके लिए एक अच्छा खान पान उनकी पहली प्राथमिकता होती है। उन्हें ये समझना चाहिए कि सिर्फ काम करने से वज़न कम नहीं होता। वज़न कम करने के लिए स्वस्थ आहार होना भी ज़रूरी हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर और प्रोटीन (1 ग्राम/किग्रा शरीर का वज़न) शामिल होना चाहिए। यह माना जाता है कि 30% कैलोरी की कमी, या 500 से 750 Kcal  प्रति दिन (1200 से 1500 kcal  प्रति दिन) होनी चाहिए।

इंसुलिन के स्तर को बनाए रखने के लिए कम कार्ब्स या कॉम्प्लेक्स कार्ब्स वाले आहार का सेवन करना चाहिए। मछली, मांस, अंडे, कुछ सब्ज़ियाँ और प्राकृतिक फैट (जैसे सूरजमुखी के बीज, कद्दू के बीज, तिल के बीज और मक्खन) का सेवन करें। प्रोसेस्ड आटे की रोटी, शुगर डेसर्ट और पेय, चीनी और स्टार्च युक्त खाद्य पदार्थ (जैसे आलू, ब्रेड, चावल, पास्ता और बीन्स) की खपत को सीमित करना बहुत ज़रूरी हैं।  

विशेषज्ञ की सलाह 

स्वस्थ रहने के लिए हार्मोनल डिस्बैलेंस को रोकना बहुत ज़रूरी हैं। PCOD और PCOS के अच्छे ट्रीटमेंट के लिए अच्छा खानपान और रेगुलर एक्सरसाइज आवश्यक है। इसके साथ दिए गए कुछ स्टेप्स फॉलो करने से आप PCOD और PCOS को अच्छी तरह मैनेज कर सकते हैं।  

- डाइटीशियन लवीना चौहान

निष्कर्ष 

जैसा की हम जानते हैं की PCOD और PCOS ऐसी बीमारियां हैं जो हमारी ओवरी और हार्मोनल बैलेंस को प्रभावित करती हैं, लेकिन दोनों एक दूसरे से कुछ मायनों में अलग हैं। PCOD, PCOS से अधिक गंभीर है, लेकिन इनके लक्षणों का जल्द पता लगाने पर, दोनों का इलाज किया जा सकता है।

नियमित एक्सरसाइज़ और स्वस्थ आहार इन लक्षणों को नियमित रख सकते हैं। यदि आपके बाल बहुत अधिक बढ़ रहे हैं, मेंस्ट्रुअल साइकिल अनियमित है, या पेट के निचले हिस्से में दर्द हो रहा है, तो आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।  

सामान्य प्रश्न  

1. PCOD या PCOS में से अधिक गंभीर क्या है?

PCOD से कोई गंभीर परेशानी नहीं होती। लेकिन PCOS की अवस्था में हार्ट डिसीज़, टाइप 2 डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर और एंडोमेट्रियल कैंसर जैसी गंभीर परेशानियाँ हो सकती हैं।

2. क्या PCOD/PCOS आजीवन रहते हैं?

PCOD नहीं, लेकिन PCOS निश्चित रूप से एक आजीवन रहने वाली मेडिकल कंडीशन है। PCOS भविष्य में जानलेवा बीमारियों को पैदा कर सकता है। इसका इलाज नहीं करने पर महिलाएं यूटेरस  कैंसर, हृदय की समस्याओं, हाई ब्लड प्रेशर, टाइप 2 डायबिटीज़, हाई कोलेस्ट्रॉल, स्लीप एपनिया, मोटापा, चिंता, या डिप्रेशन आदि जैसी समस्याओं से जूझ सकती हैं। 

3. क्या ओवरी हटाने से PCOS ठीक हो सकता है?

PCOS एक जीवन भर चलने वाली समस्या है, इसलिए ओवरी हटाने से इस समस्या को सुधारा नहीं जा सकता। लेकिन सर्जरी के बाद महिलाओं को रेगुलर पीरियड्स आने लगते हैं और कई महिलाएं इसके बाद भी प्रेग्नेंट हुई हैं। 

4. PCOS के लिए कौन सी सर्जरी की जाती है?

लेप्रोस्कोपिक ओवेरियन ड्रिलिंग PCOS के लिए एक मात्र सर्जिकल इलाज है। इसमें ओवेरी के प्रभावित हिस्सों को नष्ट करने के लिए इलेक्ट्रोक्यूटरी या लेज़र का उपयोग किया जाता है।

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